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    दीपक तिजोरी@64, गरीबी में बीता बचपन, मांगकर पहने कपड़े:'आशिकी' ने पहचान दी, हीरो के दोस्त ज्यादा बने; 20 साल तक अवैध शादी में रहे

    2 weeks ago

    बॉलीवुड इंडस्ट्री में अगर कोई अभिनेता दोस्ती की परिभाषा को चरितार्थ करता है, तो वह हैं एक्टर और डायरेक्टर दीपक तिजोरी। अपने करियर में उन्होंने कई हिट फिल्मों में काम किया है, जिनमें उन्होंने एक सच्चे और वफादार दोस्त की भूमिका निभाकर दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई। हीरो बनने के सपने के साथ इंडस्ट्री में कदम रखने वाले दीपक को ज्यादातर सपोर्टिंग रोल ही मिले, लेकिन इसके बावजूद उनका स्क्रीन प्रेजेंस किसी हीरो से कम नहीं था। हालांकि एक समय ऐसा भी आया जब उनकी फिल्में लगातार फ्लॉप होने लगीं। बावजूद इसके दीपक ने हार नहीं मानी और निर्देशन की ओर रुख किया, लेकिन डायरेक्शन में भी उन्हें कोई बड़ी सफलता नहीं मिल पाई। आज दीपक तिजोरी के 64वें जन्मदिन के मौके पर जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें… गरीबी में बीता बचपन, मांग कर पहनते थे कपड़े दीपक तिजोरी का बचपन बेहद गरीबी में बीता। आर्थिक तंगी के चलते उन्हें अक्सर एक घर से दूसरे घर में शिफ्ट होना पड़ता था। दरअसल, उनके पिता को जो घर मिला था, किसी कारणवश छोड़ना पड़ा। उनकी मां पारसी थीं, इसलिए कई सालों तक वे पारसी कॉलोनी में रहे, लेकिन वहां भी उन्हें कोई बड़ा मकान नहीं मिला, बल्कि एक छोटा सा कमरा दिया गया जो खैरात में दिया जाता था। उस छोटे से कमरे में भी 9 से 10 लोग एक साथ रहते थे। दीपक की जिंदगी में कई बार ऐसे हालात आए जब परिवार के पास खाने तक के पैसे नहीं होते थे और उन्हें भूखे पेट सोना पड़ता था। कई बार दीपक को अपने कजिन से मांगकर कपड़े पहनने पड़े। तिजोरियां बनाने के बिजनेस से मिला 'तिजोरी' सरनेम दीपक के परदादा और दादा मेहसाणा के रहने वाले थे। उनका मूल सरनेम तिजोरीवाला था। दीपक ने बताया- मेरे परदादा का व्यवसाय तिजोरियां बनाना था और इसी से हमें यह सरनेम मिला। वहीं, तिजोरीवाला से तिजोरी सरनेम पड़ने पर दीपक ने कहा- मुझे स्कूल और कॉलेज में तिजोरीवाला की जगह तिजोरी सरनेम दिया गया था और तब से यह मेरे साथ जुड़ा हुआ है। हालांकि मेरे पिताजी को यह 'तिजोरी सरनेम' बिल्कुल पसंद नहीं था और वे अक्सर गुस्से में कहते थे कि मैंने अपना उपनाम यानी की तिजोरीवाला बर्बाद कर दिया। कॉलेज में परेश रावल सीनियर तो आमिर खान जूनियर थे पारसी कॉलोनी के बाद दीपक जुहू के एक इलाके में रहने आ गए। वहां की दुनिया चकाचौंध से भरी थी। आसपास कई फिल्मों की शूटिंग होती थी और अमिताभ बच्चन जैसे बड़े स्टार्स के घर भी वहीं थे। दीपक कभी-कभी वहां घूमने चले जाते थे, लेकिन उन्हें पता था कि वो एक गरीब परिवार से आते हैं, जहां कभी-कभी खाने के भी पैसे नहीं होते थे। इसलिए उन्हें लगता था कि इस फिल्मी दुनिया में आना उनके लिए बहुत मुश्किल है। कॉलेज में उनके कई दोस्त थिएटर करते थे। वे दीपक को भी थिएटर में आने के लिए कहते थे। बॉलीवुड ठिकाना से बातचीत में दीपक ने बताया कि उनके सीनियर्स में परेश रावल और फिरोज खान अब्बास थे। आमिर खान और शरमन जोशी उनके जूनियर थे। आशुतोष गोवारिकर बगल के कॉलेज में पढ़ते थे। सभी ने साथ मिलकर कॉलेज के नाटकों में काम किया। धीरे-धीरे दीपक को महसूस होने लगा कि उन्हें एक्टिंग करना पसंद है। उनके कॉलेज में कला और सांस्कृतिक कार्यक्रम ज्यादा होते थे। शुरुआत में उन्होंने डांस किया, फिर ड्रामा करने लगे। तभी उन्हें लगा कि फिल्मों में भी काम करना चाहिए। दीपक के मुताबिक, जब उन्होंने पहली बार कोई ड्रामा किया, तो उनकी मां बहुत खुश हुई थीं। यही वजह थी कि उन्होंने फिल्मों में जाने का फैसला किया। लगा था कॉलेज से निकलते ही बन जाऊंगा एक्टर जब दीपक कॉलेज में नाटकों में हिस्सा लेते थे, तो हर कोई उनकी एक्टिंग की तारीफ करता था। उन्हें लगने लगा था कि जैसे ही कॉलेज खत्म होगा, उन्हें तुरंत फिल्मों में काम मिल जाएगा और वे जल्द ही बॉलीवुड के सुपरस्टार बन जाएंगे, लेकिन हकीकत कुछ और ही थी। इसी इंटरव्यू में दीपक ने बताया कि जैसे किसी नौकरी के लिए अनुभव पूछा जाता है, वैसे ही फिल्म इंडस्ट्री में भी उनसे पूछा गया कि उनके पास क्या अनुभव है। कई लोगों ने उन्हें एक्टिंग स्कूल जाकर सीखने की सलाह दी। उन्होंने समझाने की कोशिश की कि उन्होंने थिएटर में काफी काम किया है, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। बार-बार रिजेक्शन मिलने के बाद उन्हें समझ आया कि सिर्फ टैलेंट काफी नहीं है, फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखने के लिए एक्टिंग स्कूल का सर्टिफिकेट भी जरूरी माना जाता है। रातभर करता था नौकरी, सुबह प्रोड्यूसर्स के ऑफिस के चक्कर लगाता था भले ही दीपक कॉलेज में पढ़ाई के साथ ही फिल्मों में काम पाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उनके घर की आर्थिक स्थिति बिल्कुल ठीक नहीं थी। उनके पिताजी की आमदनी भी बहुत ज्यादा नहीं थी, इसलिए घर की पूरी जिम्मेदारी महज 16 साल की उम्र में ही बड़े भाई के कंधों पर आ गई थी। ऐसे हालात में अपने भाई का बोझ कम करने के लिए दीपक ने भी बांद्रा के होटल सी रॉक में फ्रंट ऑफिस की नाइट ड्यूटी करनी शुरू कर दी। उन्होंने वहां करीब एक साल तक काम किया। कॉलेज में पढ़ाई के बाद वे दिन में फिल्म इंडस्ट्री में काम पाने के लिए प्रोड्यूसरों के ऑफिस के चक्कर लगाते और फिर रात में नौकरी करते थे, ताकि घर खर्च भी चल सके। मैगजीन में सेल्स रिप्रेजेंटेटिव की नौकरी की, फिर मॉडलिंग में रखा कदम दीपक का सफर आसान नहीं था। उन्होंने सिने ब्लिट्ज मैगजीन में एक सेल्स रिप्रेजेंटेटिव के तौर पर भी काम किया। किसी पत्रिका में काम करने के बजाय उन्होंने एक विज्ञापन कंपनी के लिए काम किया। जब दीपक वहां गए तो एजेंसी के लोगों और खासकर अलकाबेन और भरत दाभोलकर को लगा कि यह लड़का तो मॉडलिंग भी कर सकता है। ऐसे में उन्होंने एक दिन दीपक से पूछ ही लिया कि क्या वह मॉडलिंग में काम करना चाहेंगे? दीपक की मानें तो वह हमेशा से ही इस दुनिया में आना चाहते थे, ऐसे में उन्होंने हां कर दी और फिर यहीं से उनके मॉडलिंग करियर की शुरुआत हो गई। कई बार सब कुछ छोड़कर जॉब करने का मन हुआ दीपक की फिल्म इंडस्ट्री में कोई पहचान नहीं थी। बिना किसी गॉडफादर के उन्होंने यहां कदम रखा, जिससे शुरुआत में बेहद मुश्किल आई। कई बार एक रोल के लिए उन्हें डायरेक्टर के ऑफिस के बाहर घंटों इंतजार करना पड़ता था, लेकिन फिर भी काम नहीं मिलता। कई बार उनके मन में आता कि सब कुछ छोड़कर कोई नौकरी कर लें। दीपक ने बताया- संघर्ष के दौर में दिन में ही तारे दिखने लगते थे, क्योंकि ये दुनिया बिल्कुल अलग थी। यहां टिक पाएंगे या नहीं, इसका अंदाजा तभी लगता है जब आप पहला कदम रखते हैं, लेकिन मुश्किल ये थी कि पहला कदम रखा कैसे जाए, क्योंकि जगह ही नहीं मिलती। उन्होंने कई सफल कलाकारों के संघर्ष पढ़े और तय किया कि अगर उन्होंने छोटे रोल से शुरुआत की थी, तो मैं भी करूंगा। हालांकि मां इससे खुश नहीं थीं। उन्हें लगता था कि फिल्म इंडस्ट्री मेरे लिए सही नहीं है। वह हमेशा कहती थीं कि पढ़ाई पूरी करो, डिग्री लो, लेकिन पिता कहते थे अगर एक्टिंग ही करनी थी तो पढ़ाई पर इतना खर्च क्यों किया? एक फोन आया और मिल गई फिल्म आशिकी कई साल स्ट्रगल के बावजूद दीपक को कोई काम नहीं मिल रहा था। वह टूट चुके थे। तभी एक दिन अचानक उन्हें एक कॉल आया। फोन पर अवतार गिल थे। उन्होंने कहा- महेश भट्ट फिल्म आशिकी में लीड एक्टर के दोस्त के रोल के लिए कास्टिंग कर रहे हैं, जाकर मिल लो। दीपक तुरंत महेश भट्ट से मिलने पहुंचे। भट्ट साहब ने सीधा सवाल किया- अब तक क्या-क्या किया है? फिर दीपक ने जब ऑडिशन दिया तो उन्हें फिल्म में एक रोल मिल गया। हालांकि जब उन्हें रोल ऑफर हुआ, तो उन्होंने उदास होकर कहा ठीक है, कर लूंगा। यह सुनकर भट्ट साहब नाराज हो गए और पूछा कि तुम ऐसी बात क्यों कर रहे हो? दीपक ने तुरंत उनसे कहा- क्या आप मुझे थोड़ा एक्टर बना देंगे? इस पर महेश भट्ट ने भरोसा दिलाया कि जो रोल मैं दे रहा हूं, वो छोटा नहीं है। और वो बात सच साबित हुई। आशिकी के बाद दीपक ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। जो जीता वही सिकंदर में पहले हुए रिजेक्ट, फिर किया गया कास्ट फिल्म जो जीता वही सिकंदर में दीपक और अक्षय कुमार दोनों को ही रिजेक्ट कर दिया गया था। फिल्म की लगभग 70 प्रतिशत शूटिंग भी पूरी हो चुकी थी, लेकिन इसी दौरान शेखर मल्होत्रा का किरदार निभा रहे एक्टर मिलिंद सोमन ने फिल्म छोड़ दी। ऐसे में आमिर खान ने दीपक तिजोरी का नाम सुझाया। कुछ ऐसा ही फिल्म गुलाम के ‘चार्ली’ के किरदार के साथ भी हुआ। वहां भी आमिर ने ही उनका नाम आगे बढ़ाया था। तब दीपक को एहसास हुआ कि एक हीरो और प्रोड्यूसर के बीच एक मजबूत रिश्ता होता है। 20 से ज्यादा फिल्में रहीं फ्लॉप, डायरेक्ट की मूवीज भी पिट गईं फिल्म आशिकी से डेब्यू करने के बाद दीपक की कुछ ही फिल्में हिट रहीं, लेकिन इसके बाद उनकी सारी फिल्में पिटने लगीं। उन्होंने अपने करियर में 20 से ज्यादा फ्लॉप फिल्में दीं। हालांकि उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और फिल्म इंडस्ट्री में टिके रहे। 2003 में उन्होंने डायरेक्शन में जाने का फैसला किया। टॉम डिक एंड हैरी, खामोशी- खौफ की एक रात जैसी फिल्में बनाईं, लेकिन ये भी बॉक्स ऑफिस पर कमाल नहीं दिखा सकीं। दीपक ने टीवी प्रोड्यूसर के तौर पर सैटरडे सस्पेंस, थ्रिलर@10, डायल 100 जैसे शो किए। साल 2024 में आई उनकी फिल्म टिप्सी भी फ्लॉप रही। पत्नी ने घर से निकाला बाहर, 20 साल अवैध शादी में रहे दीपक ने साल 1997 में फैशन डिजाइनर शिवानी से शादी की थी। डायरेक्टर कबीर सदानंद उनके साले हैं, जबकि एक्ट्रेस कुनिका सदानंद उनकी साली लगती हैं। हालांकि शादी के कुछ सालों बाद ही दोनों के बीच मतभेद शुरू हो गए। स्पॉटबॉय की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2017 में शिवानी ने दीपक को गोरेगांव स्थित उनके घर से बाहर निकाल दिया था। बताया गया कि शिवानी को शक था कि दीपक का किसी और महिला के साथ संबंध है। उन्होंने दीपक को घर में सिर्फ एक कमरा दिया और नौकरों को आदेश दिया कि उन्हें खाना-पानी न दिया जाए। इसके बाद दीपक को एक दोस्त के घर जाकर रहना पड़ा। इस विवाद के बीच दीपक ने एक काउंसलर की मदद ली और कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की। इसी दौरान उन्हें पता चला कि शिवानी कानूनी रूप से उनकी पत्नी हैं ही नहीं। दीपक का आरोप था कि शिवानी ने अपने पहले पति से तलाक नहीं लिया था और वे पहले से शादीशुदा थीं। ऐसे में वे 20 सालों से किसी और की पत्नी के साथ रह रहे थे। वहीं, शिवानी का कहना था कि उन्होंने दीपक को अपनी पहली शादी के बारे में बताया था और यह भी कहा था कि पहली शादी एक गलती थी, लेकिन वह कानूनी रूप से उस शादी को खत्म नहीं कर पाईं। शिवानी का दावा था कि दीपक इस बात से वाकिफ थे और इसके बावजूद उन्होंने साथ रहने का फैसला किया। दीपक और शिवानी के दो बच्चे समारा और करण हैं। दीपक तिजोरी ने लगाया मोहित सूरी पर धोखाधड़ी का आरोप दीपक ने मोहित सूरी पर उनका आइडिया चुराने का आरोप लगाया था। बॉलीवुड ठिकाना से बातचीत में दीपक ने बताया कि उन्होंने महेश भट्ट को अपनी एक फिल्म का आइडिया सुनाया था, लेकिन मोहित ने बाद में इसे हथिया लिया और जहर फिल्म बनाई। दीपक तिजोरी का कहना है कि जहर असल में उनका आइडिया था। इस फिल्म में इमरान हाशमी, उदिता गोस्वामी और शमिता शेट्टी थीं। फिल्म सुपरहिट रही थी। ----------------- बॉलीवुड की यह खबर भी पढ़ें.. वाणी कपूर@37, पिता के खिलाफ जाकर एक्ट्रेस बनीं:23 किसिंग सीन से सुर्खियां बटोरीं, फिल्ममेकर ने कहा- दूध जैसी गोरी नहीं; करोड़ों में नेटवर्थ दिल्ली में पली-बढ़ी वाणी कपूर आज बॉलीवुड की एक मशहूर एक्ट्रेस हैं। फिल्मों में आने से पहले उन्होंने होटल में काम किया था। पूरी खबर पढ़ें..
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