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    पूरे वक्फ कानून पर रोक नहीं, 3 बदलावों पर स्टे:सेंट्रल वक्फ बोर्ड में 4 और राज्य में 3 से ज्यादा गैर-मुस्लिम मेंबर बनाने पर रोक

    19 hours ago

    सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हालांकि कोर्ट ने सोमवार को कानून में किए गए 3 बड़े बदलावों पर अंतिम फैसला आने तक स्टे लगा दिया। इनमें वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति का नियम शामिल है। CJI बीआर गवई और जस्टिस अगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा कि केंद्रीय वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम मेंबर्स की संख्या 4 और राज्यों के वक्फ बोर्ड में 3 से ज्यादा न हो। सरकारें कोशिश करें कि बोर्ड में नियुक्त किए जाने वाले सरकारी मेंबर्स भी मुस्लिम कम्युनिटी से ही हों। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दाखिल 5 याचिकाओं पर 20 से 22 मई तक लगातार 3 दिन सुनवाई की थी। 22 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। फैसले के महत्वपूर्ण पॉइंट्स ग्राफिक में... 5 पॉइंट्स पर आदेश दिया, कहा- राज्य बोर्ड का CEO मुस्लिम समुदाय से ही हो 1. वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम: वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों की भागीदारी पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रावधानों पर रोक तो नहीं लगाई, लेकिन कुछ सीमाएं तय कीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय वक्फ बोर्ड में (20 में से) अधिकतम 4 और राज्य वक्फ बोर्ड में (11 में से) अधिकतम 3 गैर-मुस्लिम सदस्य ही रख सकते हैं। पहले इसमें अधिकतम सीमा तय नहीं थी। 2. CEO की नियुक्ति: राज्य बोर्ड में सेक्शन 23 (CEO की नियुक्ति) को बरकरार रखते हुए कोर्ट ने कहा कि जहां तक संभव हो, CEO (जो बोर्ड का पदेन सचिव भी होता है) मुस्लिम समुदाय से ही नियुक्त किया जाए। 3. वक्फ बनाने की शर्त: सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड संशोधन कानून की सेक्शन 3(र) के उस प्रावधान पर रोक लगा दी, जिसमें कहा गया था कि कोई व्यक्ति वक्फ बनाने के लिए कम से कम 5 साल से मुसलमान होना चाहिए। अदालत ने कहा कि जब तक राज्य सरकारें यह तय करने के लिए नियम नहीं बनातीं कि कोई व्यक्ति वास्तव में मुसलमान है या नहीं, तब तक यह प्रावधान लागू नहीं हो सकता, क्योंकि बिना नियम के यह मनमाने ढंग से इस्तेमाल किया जा सकता है। 4. वक्फ की प्रॉपर्टी का वैरिफिकेशन: सुप्रीम कोर्ट ने सेक्शन 3C से जुड़े प्रावधान यानी बदलाव पर रोक लगाई। यह धारा सरकारी अधिकारियों को वक्फ संपत्तियों की स्थिति तय करने का अधिकार देती थी। कोर्ट ने उस प्रावधान पर भी रोक लगाई, जिसमें कहा गया था कि किसी संपत्ति को वक्फ तभी माना जाएगा, जब सरकारी अधिकारी की रिपोर्ट में अतिक्रमण न होने की पुष्टि हो। धारा 3C(3), जिसमें अधिकारी को संपत्ति को सरकारी जमीन घोषित करने और राजस्व अभिलेख बदलने का अधिकार था, उसे भी रोका दिया। धारा 3C(4), जिसके तहत राज्य सरकार वक्फ बोर्ड को अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर रिकॉर्ड सुधारने का आदेश देती, उस पर भी रोक लग गई। कोर्ट ने कहा कि कलेक्टर को नागरिकों के अधिकार तय करने का अधिकार देना सत्ता के विभाजन (सेपरेशन ऑफ पावर्स) के सिद्धांत के खिलाफ है, क्योंकि कार्यपालिका को यह अधिकार नहीं दिया जा सकता। बेंच ने साफ किया कि जब तक किसी संपत्ति का मालिकाना हक (title) वक्फ ट्रिब्यूनल (सेक्शन 83) से तय नहीं हो जाता और उस पर हाई कोर्ट में अपील की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक वक्फ का मालिकाना और उसके रिकॉर्ड से छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। 5. वक्फ के रजिस्ट्रेशन: इस अनिवार्य प्रावधान में दखल देने से इनकार कर दिया, क्योंकि यह कोई नया नियम नहीं है और पहले भी 1995 व 2013 के कानूनों में मौजूद था। ओवैसी समेत 5 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हुई वक्फ (संशोधन) कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने 5 मुख्य याचिकाओं पर ही सुनवाई की। इसमें AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी की याचिका शामिल थी। याचिकाकर्ताओं की तरफ से कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और राजीव धवन और केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता पेश हुए थे। वक्फ कानून का विरोध क्यों... --------------------------------- वक्फ कानून से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... वक्फ कानून में 14 बड़े बदलाव; जानें मुस्लिम क्यों हैं नाराज भारत में रेलवे और रक्षा मंत्रालय के बाद सबसे ज्यादा जमीन वक्फ बोर्ड के पास है। करीब 9.4 लाख एकड़। इतनी जमीन में दिल्ली जैसे 3 शहर बस जाएं। इसी वक्फ बोर्ड से जुड़े एक्ट में बदलाव को लेकर विपक्ष के नेता और मुसलमानों का एक बड़ा तबका लगातार विरोध कर रहा है। एक्सप्लेन में जानिए, मुस्लिम क्यों हैं नाराज। पढ़ें पूरी खबर...
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