SEARCH

    Saved articles

    You have not yet added any article to your bookmarks!

    Browse articles
    Select News Languages

    GDPR Compliance

    We use cookies to ensure you get the best experience on our website. By continuing to use our site, you accept our use of cookies, Privacy Policies, and Terms of Service.

    देश में एक साथ SIR की तैयारी में आयोग:दो लाख नए BLO जुड़ेंगे; हर एक पर 250 घरों की जिम्मेदारी होगी

    14 hours ago

    मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर बिहार में उठे राजनीतिक विवाद के बीच देशभर में इस कवायद की तैयारी है। चुनाव आयोग सभी राज्यों में एक साथ SIR करवाना चाहता है। हालांकि, बिहार से मिले अनुभवों के आधार पर आयोग अपनी प्रक्रियाओं में भी कुछ सुधार करेगा। आयोग सूत्रों के अनुसार करीब दो लाख नए बूथ लेवल ऑफिसर्स (बीएलओ) जोड़े जाएंगे। सुनिश्चित किया जाएगा कि 250 घरों पर कम से कम एक चुनाव प्रतिनिधि जरूर हो। हाल में हुई बैठक में राज्यों के निर्वाचन अधिकारियों से मिले इनपुट के आधार पर राष्ट्रव्यापी एसआईआर का रोडमैप तैयार किया जा रहा है। इसमें मतदाता फॉर्म भरने, दावे और आपत्तियां दर्ज करने और दस्तावेजों की समीक्षा के बाद ड्राफ्ट और फाइनल मतदाता सूची जारी करने की टाइमलाइन भी बनाई जाएंगी। आयोग के सूत्रों ने कहा कि देशव्यापी SIR की कवायद का बिहार विधानसभा चुनाव से कोई संबंध नहीं है। राज्यों को तैयारी शुरू करने के निर्देश मिल चुके राज्यों के निर्वाचन अधिकारियों को तैयारी शुरू करने के निर्देश दिए जा चुके हैं। तारीख घोषित होते ही पूरा अमला काम में जुट जाएगा। असम, मणिपुर मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा, जम्मू-कश्मीर में गहन समीक्षा 2005 में हुई थी। बाकी राज्यों में 2002-03 में हुई थी। महाराष्ट्र और अरुणाचल प्रदेश में 2006-07 में और दिल्ली में 2008 में गहन समीक्षा हुई थी। असर... 55 से 60% वोटर्स को दस्तावेज नहीं देने होंगे राज्यों के निर्वाचन अधिकारियों से मिले इनपुट के आधार पर चुनाव आयोग ने अनुमान लगाया है कि SIR की कवायद के दौरान देश के 55 से 60 प्रतिशत मतदाताओं को दस्तावेज नहीं देने होंगे। यह विभिन्न राज्यों में करवाई गई पिछली गहन समीक्षाओं के आधार पर तय होगा। ज्यादातर राज्यों में गहन समीक्षा 2002 से लेकर 2008 के बीच करवाई गई थीं। उस समीक्षा में शामिल सभी मतदाताओं को किसी भी तरह के दस्तावेज देने से छूट प्रदान की जाएगी। गैर मान्यता प्राप्त दलों की भी समीक्षा, डेढ़ हजार दलों पर तलवार मतदाताओं के साथ-साथ चुनाव आयोग कागजी राजनीतिक दलों की भी गहन समीक्षा कराने जा रहा है। इसके लिए पहला मानक यह था कि जिन दलों ने 6 साल से कोई चुनाव नहीं लड़ा उनकी मान्यता स्वत: समाप्त मानी जाएगी। इस आधार पर 300 से अधिक राजनीतिक दलों का रजिस्ट्रेशन खत्म हो चुका है। अभी करीब 3000 दल और बचे हैं। इनकी गहन समीक्षा जारी है। अनुमान है कि करीब 50% दलों का रजिस्ट्रेशन खत्म हो सकता है। नए रजिस्ट्रेशन के नियम भी सख्त होंगे। रजिस्ट्रेशन के वक्त लगने वाले 100 सदस्यों के शपथ पत्रों में से 20 की अनिवार्य पुष्टि होगी। विसंगति मिलने पर सभी 100 सदस्यों की प्रामाणिकता जांची जाएगी। 15 दिन में नोटिस का जवाब नहीं देने वाले दल पंजीकरण समाप्त करने के नोटिस पर रखे जाएंगे। व्यवस्था... 943 नहीं, 900 वोटर्स पर एक बीएलओ होगा मतदाताओं की संख्या के हिसाब से बीएलओ की संख्या और उनका अनुपात बनाया जा रहा है। अभी आयोग के पास लगभग साढ़े 10 लाख बीएलओ हैं। मतदाताओं की संख्या के लिहाज से औसतन 943 मतदाताओं पर एक बीएलओ उपलब्ध है। आने वाले दिनों में बीएलओ की संख्या साढ़े 12 लाख की जाएगी। दो लाख नए बीएलओ की नियुक्ति से औसतन प्रति 900 मतदाताओं पर एक बीएलओ होगा। सूत्रों के अनुसार एक बीएलओ के पास 45 दिन में ढाई सौ घरों तक पहुंचने की जिम्मेदारी होगी। बिहार में 12 दस्तावेज मान्य, बाकी राज्यों में कम-ज्यादा हो सकते हैं बिहार के एसआईआर में शुरुआत में 11 दस्तावेज मान्य किए गए थे। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद आधार नंबर को 12वां दस्तावेज माना गया है। आयोग सूत्रों के अनुसार इन 12 दस्तावेजों के अलावा राज्यों की विशिष्टताओं के हिसाब से कुछ दस्तावेज घटाए या बढ़ाए जा सकते हैं। इसके लिए राज्यों से इनपुट लिए गए हैं। सूत्रों का दावा है कि बिहार के SIR से सबक लेते हुए टाइमलाइन में भी विस्तार किया जा सकता है। जैसे, मतदाता फॉर्म भरने की अवधि 30 के बजाए 45 दिन तक की जा सकती है। साथ ही, ड्राफ्ट मतदाता सूची पर दावे और आपत्तियां लेने के लिए भी इतना ही समय दिया जा सकता है। दस्तावेजों की जांच के लिए एक महीना पर्याप्त रहेगा। ऐसे में, एसआईआर की यह पूरी प्रक्रिया चार से पांच महीने के भीतर पूरी की जा सकती है। --------------- ये खबर भी पढ़ें... सुप्रीम कोर्ट बोला– आधार पहचान का प्रमाण, नागरिकता का नहीं: SIR पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 8 सितंबर को बिहार में SIR (वोटर वेरिफिकेशन) के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा- आधार पहचान का प्रमाण पत्र है, नागरिकता का नहीं। कोर्ट ने चुनाव आयोग को आदेश दिया कि वोटर की पहचान के लिए आधार को 12वें दस्तावेज के तौर पर माना जाए। पूरी खबर पढ़ें...
    Click here to Read more
    Prev Article
    वायुसेना को नवंबर में दो तेजस मार्क-1ए फाइटर जेट मिलेंगे:HAL को एक इंजन मिला, दूसरा 15 दिन बाद आएगा; 2028 तक देने हैं 83 विमान
    Next Article
    एशिया कप में भारत ने पाकिस्तान को 56% मैच हराए:पिछले 10 साल में PAK महज 1 मैच जीता; दोनों कभी फाइनल में नहीं भिड़े

    Related भारत Updates:

    Comments (0)

      Leave a Comment