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    श्रीनगर की हजरतबल दरगाह में अशोक चिन्ह पर विवाद:शिलापट्ट तोड़कर राष्ट्रीय प्रतीक हटाया; CM बोले- धार्मिक स्थलों पर राष्ट्रीय चिन्ह का इस्तेमाल नहीं होता

    3 days ago

    जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में हजरतबल दरगाह में शुक्रवार को ईद-ए-मिलाद के मौके पर अशोक स्तंभ वाली एक नवनिर्मित शिलापट्ट को कुछ लोगों ने तोड़ दिया। जुमे की नमाज के बाद भीड़ शिलापट्ट के पास जमा हो गई और वक्फ बोर्ड के खिलाफ नारे लगाए और पत्थरबाजी की। इस घटना को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। सदियों से, दरगाह हजरतबल जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों के लिए सबसे पवित्र स्थल रहा है क्योंकि यहां पैगंबर मोहम्मद की निशानियां रखी हैं। इस हफ्ते की शुरुआत में, वक्फ बोर्ड ने करोड़ों रुपए खर्च करके हजरतबल दरगाह का रेनोवेशन करके उद्घाटन किया था। उद्घाटन शिलापट्ट पर राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह अशोक चिन्ह उकेरा गया था, जिसकी आलोचना की जा रही थी। नेशनल कॉन्फ्रेंस और अन्य विपक्षी दलों ने इसे धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ बताया। PDP नेता इल्तिजा मुफ्ती ने आरोप लगाया कि मुस्लिम समुदाय को जानबूझकर उकसाया जा रहा है। घटना को लेकर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला ने कहा कि मैंने कभी किसी धार्मिक स्थल पर राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह का इस्तेमाल होते नहीं देखा, तो हजरतबल दरगाह के पत्थर पर प्रतीक चिन्ह लगाने की क्या जरूरत थी? क्या सिर्फ काम ही काफी नहीं था? हजरतबल दरगाह की तस्वीरें... वक्फ बोर्ड अध्यक्ष बोलीं- राष्ट्रीय प्रतीक से परेशानी तो जेब में नोट भी न ले जाएं जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की चेयरपर्सन दरख्शां अंद्राबी ने इस घटना को संविधान पर चोट बताया। उन्होंने विरोध करने वालों को उपद्रवी-आतंकी करार दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों पर FIR दर्ज न होने पर वह भूख हड़ताल करेंगी। अंद्राबी ने पुलिस और वक्फ बोर्ड के अधिकारियों से कहा- जब भी विधायक दरगाह जाएं, उनकी तलाशी ली जाए, ताकि उनकी जेब में कोई नोट न हो। अगर है भी, तो उसे अंदर ले जाना मकरूह (घृणित) होगा। जिन लोगों को राष्ट्रीय प्रतीक के इस्तेमाल से समस्या है, उन्हें दरगाह जाते समय राष्ट्रीय प्रतीक वाले नोट नहीं ले जाने चाहिए। कहा जाता है- हजरतबल में रखा है पैगंबर मोहम्मद का बाल हजरतबल दरगाह जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में डल झील के उत्तरी किनारे पर बनी है। कहा जाता है कि यहां इस्लाम के पैगंबर हजरत मोहम्मद का बाल सुरक्षित रखा गया है। इस बाल को मुई-ए-मुकद्दस कहा जाता है। ​​​​​​यहां यह 1699 ईसवीं में लाया गया था। इसे विशेष अवसरों (जैसे ईद-ए-मिलाद-उन-नबी) पर आम जनता को दिखाया जाता है। यह जगह 17वीं शताब्दी में बाग और हवेली थी। जिसे कश्मीर के गवर्नर सुलेमान शाह ने बनवाया था। इसे इशरत महल कहा गया। बाद में मुगल शहंशाह शाहजहां के बेटे दाराशिकोह ने इसका मस्जिद के रूप में जीर्णोद्धार करवाया। राष्ट्रीय प्रतीकों के अपमान पर 3 साल की सजा भारत में अगर कोई राष्ट्रीय प्रतीकों (ध्वज, गान, संविधान, प्रतीक) का अपमान करता है, तो उसे 3 साल तक की कैद या जुर्माना हो सकता है। BNS की धारा 124 के तहह राष्ट्रीय सम्मान का अपमान करने वाले व्यक्ति को 3 साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों हो सकता है। .......................... जम्मू-कश्मीर से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... उमर अब्दुल्ला ने कब्रिस्तान की दीवार फांदी, फातिहा पढ़ा: महाराजा हरिसिंह के खिलाफ लड़ने वालों का शहीदी दिवस मनाया, LG ने रोक लगाई थी जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 14 जुलाई को श्रीनगर के नक्शबंद साहिब कब्रिस्तान में कब्रों पर फातिहा पढ़ने और फूल चढ़ाने के वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट किए थे। इसमें उमर कब्रिस्तान की बाउंड्री वॉल फांदकर अंदर जाते दिख रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे प्रशासन की सख्ती के बाद भी 13 जुलाई शहीद दिवस पर नक्शबंद साहिब कब्रिस्तान पहुंचे थे। पूरी खबर पढ़ें...
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