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    SCO समिट पर वर्ल्ड मीडिया:NYT ने लिखा- अमेरिका के लिए भारत अब चीन का विकल्प नहीं, CNN की खबर- अमेरिकी दादागिरी के खिलाफ चीन

    1 week ago

    चीन में तियानजिन शहर में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट के आखिरी दिन प्रधानमंत्री मोदी, चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग, रूसी राष्ट्रपति पुतिन एक साथ नजर आए। तीनों नेताओं ने काफी देर तक बातें कीं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प की उथल-पुथल भरी टैरिफ नीतियों की वजह से यह समिट दुनिया की मीडिया में छाया रहा। इस बार 3400 से ज्यादा पत्रकार इस समिट को कवर करने पहुंचे थे। दुनियाभर के मीडिया ने इस समिट को कवर किया। जानिए किसने क्या लिखा... न्यूयॉर्क टाइम्स: ट्रम्प के फैसले ने भारत को नुकसान पहुंचाया न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा ट्रम्प ने भारत से आने वाले सामान पर 50% टैरिफ (कर) लगा दिया है। इससे भारत और अमेरिका के बीच व्यापार में बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है। भारत लंबे समय से कोशिश कर रहा था कि वह चीन का विकल्प बने और अमेरिकी कंपनियां यहां निवेश करें। इसे 'चाइना प्लस वन' रणनीति कहते हैं। लेकिन ट्रम्प के इस फैसले ने भारत की इस योजना को नुकसान पहुंचाया है। ट्रम्प के इस कदम ने भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को नुकसान पहुंचाया है। इस बीच, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजिंग में चीन के शीर्ष नेता शी जिनपिंग से मुलाकात की, जो सात साल में उनकी पहली चीन यात्रा थी। यह दिखाता है कि भारत अब चीन के साथ अपने तनावपूर्ण व्यापारिक और राजनीतिक रिश्तों को सुधारने की दिशा में कदम उठा रहा है। यह कदम भारत के लिए 'चाइना प्लस वन' रणनीति को बिना अमेरिकी समर्थन के और मुश्किल बनाता है। CNN: दुनिया में अपनी ताकत बढ़ा रहा चीन CNN ने लिखा कि शी जिनपिंग ने कहा कि उनका देश दुनिया की अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने में अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने अपने सहयोगी देशों को सैकड़ों मिलियन डॉलर की मदद देने का वादा किया। यह बयान तब आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दुनिया भर में व्यापार युद्ध शुरू किया और विदेशी मदद को बहुत कम कर दिया। शी ने यह बात SCO की बैठक में कही। इस बैठक में 20 से ज्यादा देशों के नेता शामिल हुए। इस समिट का मकसद चीन और रूस को दुनिया में और ताकतवर बनाना और अमेरिका का प्रभाव कम करना है। शी ने कहा कि SCO देश अपने बड़े बाजारों का इस्तेमाल करके व्यापार और निवेश बढ़ाएं। उन्होंने SCO देशों को इस साल 2 अरब युआन (लगभग 280 मिलियन डॉलर) की मुफ्त मदद और अगले तीन साल में 10 अरब युआन (लगभग 1.4 बिलियन डॉलर) के कर्ज देने का वादा किया। शी ने बिना अमेरिका का नाम लिए देशों की दादागिरी और धमकाने वाली नीतियों की आलोचना की। ट्रम्प के ट्रेड वॉर और विदेशी मदद में कटौती के बीच चीन दुनिया में अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। द गॉर्डियन: पुतिन बोले- यूक्रेन युद्ध रूस नहीं पश्चिमी देशों का साजिश द गॉर्डियन ने लिखा चीन के तियानजिन शहर में SCO बैठक के दूसरे दिन, चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग ने कुछ देशों की धमकाने वाली नीतियों की आलोचना की। वहीं, पुतिन ने कहा कि यूक्रेन में चल रहा युद्ध उनकी गलती नहीं, बल्कि पश्चिमी देशों की साजिश का नतीजा है। इस बैठक में भारत के प्रधानमंत्री मोदी समेत कई देशों के नेता शामिल हुए। पुतिन ने कहा कि यूक्रेन में 2022 का युद्ध रूस ने शुरू नहीं किया। उनका दावा है कि यह पश्चिमी देशों द्वारा यूक्रेन में कराए गए तख्तापलट और उसे नाटो में शामिल करने की कोशिशों की वजह से हुआ। इस युद्ध से यूक्रेन के कई हिस्सों को भारी नुकसान हुआ है और हजारों लोग मारे गए हैं। शी जिनपिंग ने कहा कि SCO देशों को सुरक्षा और विकास में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने पश्चिमी देशों की तनाव बढ़ाने वाली नीतियों का विरोध करने और UN के नियमों को मानने की बात कही। शी ने SCO को सच्चे सहयोग का नया तरीका बताया और कहा कि सभी देश मिलकर अपने बड़े बाजारों का फायदा उठाकर व्यापार बढ़ाएं। चीन ने SCO देशों को 2 अरब युआन (लगभग 280 मिलियन डॉलर) की मुफ्त मदद और 10 अरब युआन के कर्ज देने का भी ऐलान किया। फ्रांस 24: जिनपिंग बोले- दुनिया के हालात उलझन भरे और अशांत फ्रांस 24 ने लिखा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कुछ देशों की धमकाने वाली नीतियों की आलोचना की है। उन्होंने यह बात शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में कही, जिसमें भारत, रूस, पाकिस्तान, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और बेलारूस जैसे देश शामिल हैं। यह संगठन पश्चिमी देशों के गठजोड़ से अलग एक नया सहयोग बनाने की कोशिश करता है। शी जिनपिंग ने तियानजिन शहर में हुए इस सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति पुतिन के सामने कहा कि दुनिया में हालात बहुत उलझन भरे और अशांत हो रहे हैं। उन्होंने बिना नाम लिए अमेरिका पर तंज कसते हुए कहा कि कुछ देशों की धमकाने वाली हरकतें सभी के लिए मुश्किलें बढ़ा रही हैं। यह SCO सम्मेलन रविवार को शुरू हुआ, जिसमें 16 अन्य देश भी बतौर मेहमान या साझेदार शामिल हैं। अल जजीरा: पुतिन बोले- पश्चिम के उकसावे से शुरू​ हुआ यूक्रेन युद्ध ​​​अल जजीरा ने लिखा कि राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन में चल रहे युद्ध का दोष पश्चिमी देशों पर डाला। उन्होंने कहा कि यह युद्ध रूस ने नहीं, बल्कि पश्चिम के उकसावे की वजह से शुरू हुआ। यह बयान उन्होंने चीन के तियानजिन शहर में SCO बैठक में दिया, जहां भारत के प्रधानमंत्री मोदी समेत कई बड़े नेता मौजूद थे। पुतिन ने कहा कि 2013-14 में यूक्रेन में पश्चिम के समर्थन से सरकार बदल दी गई, जिसके बाद रूस ने क्रीमिया पर कब्जा किया और पूर्वी यूक्रेन में विद्रोहियों की मदद की। इससे शुरू हुआ युद्ध अब तक हजारों लोगों की जान ले चुका है और यूक्रेन के कई हिस्सों को बर्बाद कर चुका है। 2022 में रूस के बड़े हमले ने युद्ध को और बढ़ा दिया। इसके बाद अमेरिका और यूरोप ने रूस पर सख्त प्रतिबंध लगाए, जिससे रूस का पश्चिमी देशों से रिश्ता खराब हो गया। पुतिन ने कहा कि पश्चिम की यूक्रेन को नाटो में शामिल करने की कोशिश युद्ध का बड़ा कारण है। पुतिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ अगस्त में हुई अपनी बातचीत को शांति की दिशा में अच्छा कदम बताया। उन्होंने चीन और भारत के शांति प्रस्तावों की तारीफ की और कहा कि ये यूक्रेन समस्या को हल करने में मदद कर सकते हैं। BBC​​​​​​​: पुतिन ने बताया- यूक्रेन युद्ध खत्म करने पर ट्रम्प के साथ कुछ सहमति बन गई BBC ने लिखा कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि उन्होंने पिछले महीने अलास्का में ट्रम्प के साथ यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए कुछ सहमति बनाई है। लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि वह ट्रम्प की मदद से यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ शांति की बातचीत के लिए तैयार हैं या नहीं। पुतिन ने यह बात चीन के तियानजिन शहर में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में कही। इस बैठक में भारत के पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग भी शामिल थे। पुतिन ने यूक्रेन समस्या को हल करने में मदद के लिए भारत और चीन का शुक्रिया कहा। पुतिन ने फिर से यूक्रेन युद्ध का दोष पश्चिमी देशों पर डाला। उन्होंने कहा कि यह युद्ध रूस के 2022 के हमले से नहीं, बल्कि 2013-14 में पश्चिम के समर्थन से यूक्रेन में सरकार बदलने की वजह से शुरू हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिम की यूक्रेन को नाटो में शामिल करने की कोशिश युद्ध का कारण बनी।
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