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    नेशनल अवॉर्ड के सवाल पर मिथुन बोले:दादा साहब फाल्के के बाद यह सम्मान नहीं मिलता, ऑस्कर के लिए कोशिश करने की बात कही गई

    2 weeks ago

    तीन बार नेशनल अवॉर्ड और दादा साहब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित हो चुके मिथुन चक्रवर्ती ने कई यादगार किरदार निभाए हैं। इन दिनों मिथुन दा अपनी अपकमिंग फिल्म 'द बंगाल फाइल्स' को लेकर चर्चा में हैं। हाल ही में मिथुन दा ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने फिल्म से जुड़े विवाद और अपने किरदार के बारे में खुलकर बात की। इस फिल्म में उन्होंने जिस तरह से अपने किरदार के बारे में चर्चा की। उसे सुनने के बाद जब हमने पूछा… क्या इस किरदार के लिए एक और नेशनल अवॉर्ड की उम्मीद कर सकते हैं? इस सवाल के जवाब में मिथुन चक्रवर्ती ने कहा- हमने बंगाली फिल्म ‘काबुलीवाला’ को नेशनल अवॉर्ड के लिए भेजा था। मुझे बताया गया कि एक बार दादा साहब फाल्के अवॉर्ड मिलने के बाद नेशनल अवॉर्ड नहीं दिया जाएगा। क्योंकि दादा साहब फाल्के अवॉर्ड सबसे बड़ा होता है। मुझसे कहा गया कि इसके बाद अब ऑस्कर अवॉर्ड के लिए कोशिश करनी पड़ेगी। यहां कुछ नहीं मिलेगा ‘काबुलीवाला’ में मिथुन ने रहमत का किरदार निभाया था 22 दिसंबर 2023 को रिलीज हुई फिल्म 'काबुलीवाला' की कहानी एक अफगान व्यक्ति रहमत और कोलकाता की एक छोटी लड़की मिनी के बीच अनोखी दोस्ती के इर्द-गिर्द घूमती है। इस फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती ने रहमत का किरदार निभाया है जो कोलकाता की सड़कों पर सूखे मेवे बेचकर अपना गुजारा करता है। उसकी एक पांच साल की लड़की मिनी से दोस्ती हो जाती है। यह फिल्म रवींद्रनाथ टैगोर की लिखी शॉर्ट स्टोरी ‘काबुलीवाला’ पर आधारित है। 1961 में एक और फिल्म काबुलीवाला बनी थी, जिसमें बलराज साहनी मुख्य भूमिका में थे। पहला नेशनल अवॉर्ड फिल्म ‘मृगया’ के लिए मिला मिथुन चक्रवर्ती तीन बार नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित हो चुके हैं। पहली बार उन्हें फिल्म ‘मृगया’ के लिए बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला था। इस फिल्म से एक्टर ने बॉलीवुड में डेब्यू किया था। मृणाल सेन के निर्देशन में बनी यह फिल्म 6 जून 1976 को रिलीज हुई थी। मिथुन ने इस फिल्म में एक असाधारण तीरंदाज घिनुआ का किरदार निभाया है जो अंग्रेजों से एक बड़े खेल के लिए शर्त लगाता है। हालांकि जीतने के बावजूद भी अंग्रेज उसे अपनी फितरत के अनुसार दंडित करते हैं। इस फिल्म में शानदार अभिनय के लिए मिथुन को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया। दूसरा नेशनल अवॉर्ड बंगाली फिल्म ‘तहादर कथा’ के लिए मिथुन चक्रवर्ती को दूसरी बार नेशनल अवॉर्ड बंगाली फिल्म ‘तहादर कथा’ के लिए मिली थी। बुद्धदेव दास गुप्ता के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती ने एक फ्रीडम फाइटर शिबनाथ की भूमिका निभाई है जो भारत को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए अपने अंतिम समय तक लड़ता रहा। इसी बीच शिबनाथ के हाथों एक ब्रिटिश अफसर की हत्या हो जाती है जिसके लिए शिबनाथ को 11 वर्ष की सजा सुनाई जाती है। शिबनाथ जब जेल से बाहर निकलता है तब पूरी दुनिया ही बदल चुकी होती है क्योंकि देश दो हिस्सों में टूट चुका होता है। बंटवारे के बाद शिबनाथ को किन परेशानियों से जूझना पड़ता है, यही इस फिल्म में दिखाया गया है। तीसरा नेशनल अवॉर्ड फिल्म ‘स्वामी विवेकानंद’ के लिए जी वी अय्यर के निर्देशन में बनी इस बायोग्राफिकल ड्रामा फिल्म 'स्वामी विवेकानंद' में मिथुन चक्रवर्ती स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण के किरदार में नजर आए। फिल्म किन्हीं कारणों से सिनेमाघरों में रिलीज ही नहीं हो सकी। इसका प्रीमियर राष्ट्रीय चैनल दूरदर्शन पर किया गया था। इस फिल्म के लिए मिथुन चक्रवर्ती ने सर्वश्रेष्ठ सहायक कलाकार के रूप में अपने करियर का तीसरा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता। पिछले साल दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित हुए मिथुन चक्रवर्ती को 8 अक्टूबर 2024 को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें यह सम्मान दिया। भारतीय सिनेमा के विकास में उत्कृष्ट योगदान के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित हस्तियों को स्वर्ण कमल पदक, एक शॉल और एक लाख रुपए की नकद राशि प्रदान की जाती है। भारतीय सिनेमा के जनक कहे जाने वाले दादा साहब फाल्के के सम्मान में इस पुरस्कार की शुरुआत 1969 में हुई थी, जो हर साल प्रदान किया जाता है।
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