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    मूवी रिव्यू- द बंगाल फाइल्स:क्रूर इतिहास और वर्तमान की हिंसक कहानी, लेकिन कहीं-कहीं खींची और भावनात्मक पक्ष कमजोर

    3 days ago

    द बंगाल फाइल्स’ आपको 1946 के डायरेक्ट एक्शन डे और नोआखली दंगों की वीभत्सता के सबसे काले पहलू से रूबरू कराती है। फिल्म की क्रूर और हिंसक प्रस्तुति कई दृश्यों में इतनी असरदार है कि देखने वाला असहज महसूस करता है। निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने इतिहास और वर्तमान के बीच के तार को सस्पेंस फुल अंदाज में पिरोकर पेश किया है। इस फिल्म की लेंथ 3 घंटा 43 मिनट है। दैनिक भास्कर ने इस फिल्म को 5 में से 3 स्टार की रेटिंग दी है। फिल्म की कहानी कैसी है? कहानी वर्तमान में शिवा पंडित (दर्शन कुमार ) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो पश्चिम बंगाल में एक किडनैप की गई लड़की की तलाश में हैं। यह लड़की एक अल्पसंख्यक समुदाय के नेता (शाश्वत चटर्जी) के इशारे पर अगवा की गई है। वहीं, डायरेक्ट एक्शन डे के दौरान की घटनाओं की समानांतर कहानी भी चलती है, जिसमें उस समय की हिंसा और सामूहिक त्रासदी दिखाई जाती है। निर्देशक ने वर्तमान और अतीत के दर्दनाक घटनाओं के बीच तार कहानी के जरिए बुनकर प्रस्तुत किया है। कहानी सस्पेंस फुल बनी रहती है और इसे पूरा खोलकर नहीं बताया गया है, जिससे दर्शक अंत तक बंधा रहता है। स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी है? दर्शन कुमार ने दमदार परफॉर्मेंस दी है। सिमरत कौर ने अपने रोल में संवेदनशीलता और मजबूती दिखाई है। एकलव्य सूद ने कहानी में भरोसे और गहराई का अहम योगदान दिया। शाश्वत चटर्जी ने नेता के किरदार में क्रूरता को कोल्ड और अनूठे अंदाज में पेश किया है, जो कहानी की गंभीरता को और बढ़ाता है। अनुपम खेर ने गांधी जी के किरदार को इंसानी और सोचने पर मजबूर करने वाले नये अंदाज में प्रस्तुत किया है। मिथुन चक्रवर्ती और उनके बेटे नमाशी का किरदार भी फिल्म में नजर आता है। नमाशी चक्रवर्ती ने अपने किरदार में प्राकृतिक और प्रभावशाली अभिनय किया है, जो फिल्म की क्रूर और भावनात्मक कहानी में वास्तविकता जोड़ता है। पल्लवी जोशी ने भी अपने रोल में गहराई और दृढ़ विश्वास दिखाया। फिल्म का डायरेक्शन और तकनीकी पक्ष कैसा है? निर्देशक ने फिल्म को बड़े पैमाने पर शूट किया है। प्रोडक्शन डिजाइन, सिनेमैटोग्राफी और एक्शन कोरियोग्राफी उम्दा हैं। फिल्म की लंबाई लगभग 3 घंटे 45 मिनट है, जो क्रूर और हिंसक कहानी के लिए थोड़ी लंबी लगती है। कई दृश्य बेहद वीभत्स हैं जिन्हें शायद थोड़ा कम किया जा सकता था। इमोशनल कनेक्ट कहीं-कहीं मिस लगता है। स्क्रीनप्ले में कुछ कमियां हैं, जिससे कहानी कई जगह फैलती और धीमी नजर आती है। फिर भी, कहानी की रॉ ताकत और इतिहास के अंधेरे पहलू को सस्पेंस फुल तरीके से पेश किया गया है। फिल्म का संगीत और बैकग्राउंड स्कोर कैसा है? फिल्म में पारंपरिक गीत नहीं हैं, लेकिन बैकग्राउंड म्यूजिक बहुत प्रभावशाली है। यह स्कोर कहानी की क्रूर तीव्रता और भावनात्मक गहराई को बढ़ाता है। फाइनल वर्डिक्ट, देखे या नहीं? यदि आप इतिहास के अंधेरे और दर्दनाक पहलुओं के साथ वर्तमान के सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ को समझना चाहते हैं, तो ‘द बंगाल फाइल्स’ देखना जरूरी है। दर्शन कुमार, सिमरत कौर, एकलव्य सूद, शाश्वत चटर्जी और अनुपम खेर की एक्टिंग फिल्म को और प्रभावशाली बनाती है। मिथुन चक्रवर्ती और उनके बेटे की परफॉर्मेंस भी कहानी में नेचुरल और ऑथेंटिकेट फ्लेवर जोड़ती है।
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