SEARCH

    Saved articles

    You have not yet added any article to your bookmarks!

    Browse articles
    Select News Languages

    GDPR Compliance

    We use cookies to ensure you get the best experience on our website. By continuing to use our site, you accept our use of cookies, Privacy Policies, and Terms of Service.

    मस्क-ट्रम्प को लड़वाया, अब भारत में अमेरिकी राजदूत बने सर्जियो:ट्रम्प के चौकीदार कहे जाते हैं, राष्ट्रपति बोले- मुझे उन पर पूरा भरोसा

    3 weeks ago

    राष्ट्रपति ट्रम्प ने सर्जियो गोर को भारत में अमेरिका का अगला राजदूत नियुक्त किया है। उन्हें शुक्रवार को दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के लिए विशेष दूत की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। सर्जियो गोर को मस्क और ट्रम्प के बीच लड़ाई शुरू कराने वाला माना जाता है। मस्क ने नाराज होकर गोर को ‘सांप’ तक कह दिया था। सर्जियो लंबे समय से ट्रम्प परिवार के भरोसमंद रहे हैं। पहले उनका काम ट्रम्प से जुड़े कार्यक्रमों को देखना था। वे यह भी देखते रहे हैं कि ट्रम्प से कौन मिल सकता है और कौन नहीं। इसलिए अमेरिकी मीडिया उन्हें ट्रम्प का ‘गेटकीपर’ भी कहती है। यानी कि ऐसा शख्स जो ट्रम्प तक पहुंचने के रास्ते पर पहरेदार की तरह खड़ा है। गोर को नई जिम्मेदारी मिलने को लेकर राष्ट्रपति ट्रम्प ने खुशी जताई है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा- ट्रम्प ने 7 महीने बाद चुना भारत का राजदूत गोर ने एरिक गार्सेटी की जगह ली है। वे मई 2023 से जनवरी 2025 तक भारत में अमेरिका के राजदूत रहे। ट्रम्प ने भारत में अमेरिकी राजदूत के रूप में सर्जियो गोर को करीब 7 महीने की देरी के बाद नियुक्त किया है। जबकि ट्रम्प ने चीन समेत कई देशों में दिसंबर, 2024 में ही राजदूत नियुक्त कर दिया था। माना जा रहा है कि गोर भारत में अमेरिका फर्स्ट एजेंडे को आगे बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। गोर ने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ट्रम्प के लिए फंड जुटाने में भी बड़ी भूमिका निभाई। वे ट्रम्प के खास माने जाते हैं उनकी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के कट्टर समर्थक हैं। गोर व्हाइट हाउस में नियुक्तियों की जांच-परख में भी शामिल रहे हैं। उन्हें ट्रम्प की टीम में पर्दे के पीछे सबसे ताकतवर शख्सियतों में से एक माना जाता है। गोर को ऐसे समय में भारत में अमेरिका का राजदूत बनाया जा रहा है जब टैरिफ को लेकर अमेरिका से उसका विवाद चल रहा है। कुछ दिन पहले ही अमेरिका के व्यापार वार्ताकारों की 25-29 अगस्त को भारत यात्रा अचानक रद्द कर दी गई थी। बेटे जूनियर ट्रम्प के दोस्त हैं गोर दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रम्प ने गोर को प्रेसिडेंसियल पर्सनल ऑफिस का डायरेक्टर बनाया। यह पद बहुत ताकतवर माना जाता है, क्योंकि इसके जरिए यह तय होता है कि सरकार में कौन-कौन लोग अहम पदों पर आएंगे। इस बार ट्रम्प ने सबसे ज्यादा ध्यान खुद में निष्ठा रखने वाले शख्स को चुनने पर दिया। दरअसल, पिछले टर्म में ट्रम्प की टीम में कई ऐसे लोग आ गए थे जो उनके हिसाब से वफादार नहीं थे और बाद में यही उनकी सबसे बड़ी गलती मानी गई। ट्रम्प ने इस बार यह गलती नहीं की। उन्होंने अपनी टीम के लिए जरूरी पदों को चुनने के लिए सर्जियो गोर को चुना जो उनके 'दाएं हाथ' कहे जाते हैं। गोर, ट्रम्प के बेटे ट्रम्प जूनियर के दोस्त हैं। दोनों ने मिलकर ‘विनिंग टीम पब्लिशिंग’ नाम की कंपनी शुरू की थी, जो ट्रम्प की किताबें प्रकाशित करती है। इस कंपनी की किताबें महंगी मानी जाती है। सबसे सस्ती किताब की कीमत भी करीब 6500 रुपए है। इसी कंपनी के जरिए ट्रम्प ने अब तक तीन किताबें छपवाई हैं, जिनमें एक किताब में उनकी वह मशहूर तस्वीर है जब पेनसिल्वेनिया में रैली के दौरान उन पर जानलेवा हमला हुआ था और खून से लथपथ हालत में उन्होंने मुट्ठी बांधकर ताकत दिखाने वाला पोज दिया था। ट्रम्प के शपथ ग्रहण समारोह में अंबानी के बगल में दिखे गोर, VIDEO पैदा होने की जगह को लेकर झूठ कहा सर्जियो गोर पहली बार अमेरिकी राजनीति और मीडिया में 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान चर्चा में आए थे। ट्रम्प ने उन्हें कैंपेन एडवाइजर बनाया था। बाद में वे ट्रम्प के पर्सनल चीफ बने। तब गोर की जिम्मेदारी थी कि अगर ट्रम्प जीतते हैं तो नए प्रशासन में किसे-किसे नियुक्त किया जाए। यानी उनका काम था हजारों पदों के लिए नाम चुनना और यह जांचना कि उनकी ट्रम्प में कितनी निष्ठा है। जैसे ही गोर को यह जिम्मेदारी मिली अमेरिकी और यूरोपीय मीडिया ने उनकी ‘जन्मकुंडली’ खंगालनी शुरू की। तब पता चला कि उनका असली नाम सर्जियो गोरोखोव्सकी है। उनका जन्म 1986 में ताशकंद, उज्बेकिस्तान में हुआ था, यह तब सोवियत संघ का हिस्सा था। हैरानी की बात ये थी कि गोर हमेशा दावा करते आए हैं कि वे माल्टा (यूरोपीय देश) में जन्मे हैं। जब इस मामले ने तूल पकड़ा तो माल्टा सरकार खुद एक्शन में आई और कहा कि उनके पास गोर के जन्म का कोई रिकॉर्ड नहीं है। इसके बाद गोर की जन्म से जुड़े ताशकंद वाले रिकॉर्ड सामने आ गए। तब गोर ने पहली बार माना कि वे माल्टा में पैदा नहीं हुए थे। उनके वकील रॉबर्ट गार्सन ने मीडिया को बताया कि सर्जियो गोर का जन्म ताशकंद में हुआ था, लेकिन वे कुछ ही समय बाद माल्टा आ गए थे। उनकी पढ़ाई वहीं से हुई है इसलिए अपनी पहचान माल्टा से बताते हैं। गोर ने मस्क के करीबी शख्स को मिलने वाली जिम्मेदारी छीनी मार्च में व्हाइट हाउस की एक कैबिनेट मीटिंग के दौरान मस्क और गोर के बीच बहस हो गई थी। मस्क ने कहा था कि गोर जिस तरह से लोगों को व्हाइट हाउस में नौकरी पर ला रहे हैं, वह ठीक नहीं है। यह बात सुनकर गोर नाराज हो गए और उन्होंने गुस्से में कहा कि वे मस्क से बदला लेंगे। इसके बाद मस्क ने साफ कह दिया कि वे गोर के साथ व्हाइट हाउस में काम नहीं करेंगे। इसके बाद 30 मई को मस्क ने अपने बनाए डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) से इस्तीफा दे दिया। इसके दो दिन बाद गोर सीधे ट्रम्प के पास गए और उन्हें बताया कि मस्क के करीबी कारोबारी जैरेड इसाकमैन ने डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं और संगठनों को पैसे दिए हैं। गोर ने ट्रम्प से कहा कि इसाकमैन भरोसेमंद नहीं हैं, इसलिए उन्हें NASA का प्रमुख नहीं बनाया जाना चाहिए। गोर की बात सुनकर ट्रम्प ने उसी दिन मस्क से इस मुद्दे पर बात की और अगले ही दिन इसाकमैन का नाम वापस ले लिया। मस्क की नाराजगी और बढ़ गई। उन्हें लगा कि गोर ने उनके खिलाफ खेल खेला है और ट्रम्प ने भी उनकी राय को नजरअंदाज कर दिया। इसके बाद मस्क ने एक्स पर लिखा कि वे एक सांप हैं। टैरिफ विवाद के बीच भारत के लिए गोर की नियुक्ति अहम फिलहाल गोर वॉशिंगटन में काम करते रहेंगे। सीनेट की मंजूरी मिलने के बाद ही उन्हें राजदूत की जिम्मेदारी मिल पाएगी। ट्रम्प ने कहा है कि गोर अभी तक अपने वर्तमान पद व्हाइट हाउस प्रेसिडेंशियल पर्सनलल ऑफिस डायरेक्टर में ही बने रहेंगे, जब तक उन्हें इस नए दूतावासीय पद के लिए मंजूरी नहीं मिल जाती। सर्जियो गोर की नियुक्ति ऐसे समय में हो रही है, जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव बना हुआ है। नए अमेरिकी राजदूत का काम चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि भारत और अमेरिका के संबंध बेहद खराब दौर से गुजर रहे हैं। रूस से तेल खरीदने की वजह से अमेरिका ने भारतीय सामानों पर 25% एक्स्ट्रा टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। यह 27 अगस्त से लागू होगा। इसके बाद भारत पर अमेरिका का कुल टैरिफ 50% हो जाएगा। ........................ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... ट्रम्प का दावा झूठा निकला: US एंबेसी बोली- भारतीय चुनाव में अमेरिकी फंडिंग नहीं हुई, राष्ट्रपति ने कहा था- ₹182 करोड़ दिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने फरवरी में दावा किया था कि अमेरिकी एजेंसी USAID ने भारत में वोटिंग बढ़ाने के लिए 182 करोड़ रुपए दिए। ट्रम्प का यह दावा अब झूठा साबित हुआ है। ट्रम्प के बयान के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने भारत स्थित अमेरिकी दूतावास से पिछले 10 साल का ब्योरा मांगा था। इसके जवाब में दूतावास ने 2 जुलाई को रिपोर्ट दी। पूरी खबर पढ़ें...
    Click here to Read more
    Prev Article
    वर्ल्ड अपडेट्स:बेलारूस के राष्ट्रपति का दावा- जेलेंस्की के ऑफिस पर मिसाइल हमला करना चाहते थे रूसी अधिकारी, पुतिन ने रोका
    Next Article
    न्यूयॉर्क में टूरिस्ट बस पलटी, 5 की मौत:बस में भारतीय भी थे, ड्राइवर के कंट्रोल खोने से हुआ हादसा

    Related दुनिया Updates:

    Comments (0)

      Leave a Comment