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    भारत की मांग-रूसी सेना में भारतीयों की भर्ती रोकें:पुराने फौजी भी छोड़ें; सरकार जनता से बोली- ऑफर से दूर रहें, यह खतरनाक रास्ता

    1 day ago

    भारत सरकार ने गुरुवार रूस से मांग की है कि वह अपनी सेना में भारतीयों को भर्ती करने की प्रथा को खत्म कर दें। साथ ही कहा कि पहले से सेना में शामिल हुए भारतीय नागरिकों को भी छोड़ दिया जाए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने जनता को सलाह दी है कि वे रूस की सेना में भर्ती होने के किसी भी प्रस्ताव पर ध्यान ना दें क्योंकि इसमें खतरा है। हाल ही में भारत सरकार को रूसी सेना में भारतीयों की भर्ती की खबरें मिली थीं जिसके बाद ये बयान जारी किया गया है। दरअसल, फरवरी 2022 से चल रही रूस-यूक्रेन जंग के दौरान रूसी सेना पर आरोप लगते रहे हैं कि उसने जंग में किराए के और दूसरे देशों के लोगों को जबरन भेजा। इनमें कई भारतीय भी थे, जो नौकरी की तलाश में रूस गए लेकिन वहां फंस गए। विदेश मंत्रालय बोला- हम पहले भी कई बार चेतावनी दे चुके हैं भारत बार-बार रूस से रूसी मिलिट्री यूनिट में रसोइये और सहायक कर्मचारियों के रूप में काम कर रहे सभी भारतीयों को रिहा करने की मांग करता रहा है। इन लोगों को नौकरी का झांसा देकर युद्ध क्षेत्र में भेज दिया जाता है। यह मुद्दा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल अपनी रूस यात्रा के दौरान भी उठाया था। रूसी सेना में शामिल हरियाणा के युवकों ने जारी किया था वीडियो रूसी सेना में शामिल हरियाणा के फतेहाबाद के युवकों ने सोमवार को अपने परिवार को वीडियो भेजे थे। पीड़ितों का परिवार कल सीएम नायब सिंह सैनी से भी मिला था। युवकों ने वीडियो में कहा- हमारे पास 2-3 दिन ही बचे हैं। फिर हमें युद्ध में धकेल दिया जाएगा। यहां से जो भी जा रहा है, वह वापस नहीं आ रहा। पहले 13-14 साथी गए थे, वे सभी मारे गए। फतेहाबाद के अंकित जांगड़ा व विजय पूनिया ने वीडियो में बताया कि वे महिला के दिए नौकरी के लालच में रूसी सेना में आकर यूक्रेन में फंस गए हैं। उन्होंने सोमवार शाम को परिवार को वॉट्सऐप कॉल कर वहां से निकालने की गुहार लगाई है। परिवार का कहना है कि 15 लोगों के बैच में उनके साथ यूपी, पंजाब, जम्मू-कश्मीर के भी युवक फंसे हैं। सभी को रूस के खिलाफ युद्ध में भेजने के लिए मजबूर किया जा रहा है। पढें पूरी खबर... विदेश मंत्रालय ने जनवरी में कहा था- रूस यूक्रेन जंग में 12 भारतीयों की मौत, 16 लापता रूस की तरफ से जंग लड़ रहे 12 भारतीयों की यूक्रेन में मौत हो चुकी है। विदेश मंत्रालय ने जनवरी में ये जानकारी दी थी। अब तक 126 भारतीय नागरिकों के रूसी सेना में शामिल होने के मामले सामने आए हैं। इनमें से 96 लोग भारत लौट आए। रूस में अभी भी 18 भारतीय नागरिक फंसे होने की खबर है, जिनमें से 16 की कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। फरवरी 2022 से जारी है रूस यूक्रेन के बीच जंग रूस-यूक्रेन जंग 24 फरवरी 2022 से चल रही है। इस दौरान रूसी सेना पर आरोप लगे कि उसने जंग में भाड़े और दूसरे देशों के कई लोगों को जबरन भेज दिया है। इनमें कई भारतीय भी शामिल थे। ये नौकरी की तलाश में रूस गए थे, लेकिन वहां फंस गए। CBI ने 4 आरोपियों को किया था गिरफ्तार भारत की जांच एजेंसी CBI ने अप्रैल 2024 में भारतीयों को धोखे से रूस-यूक्रेन जंग में भेजने के मामले में 4 लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें से तीन लोग भारत के थे, जबकि एक रूस के रक्षा मंत्रालय में काम करने वाला ट्रांसलेटर था। ये सभी लोग एक नेटवर्क का हिस्सा थे, जिसमें सोशल मीडिया के जरिए भारतीय को नौकरी और अच्छी सैलरी का लालच देकर फंसाया जाता है। भारत के हैदराबाद में मोहम्मद इमरान के हाथ में अपने भाई मोहम्मद असफान की तस्वीर है, जो यूक्रेन में तैनात होने से पहले रूसी सैन्य पोशाक पहने हुए हैं। झांसा- 3 महीने की ट्रेनिंग के बाद मिलेगी 1 लाख की सैलरी जांच एजेंसी ने बताया था कि वीजा कंसल्टेंसी कंपनियां उन लोगों को टारगेट करती हैं, जो विदेश में नौकरी करना चाहते हैं। इसके बाद इन्हें झांसा देने के लिए यूट्यूब वीडियो बनाए जाते हैं। इनमें दिखाया जाता है कि रूस में जंग का कोई असर नहीं है और सब सुरक्षित हैं। इसके बाद रूस की आर्मी में हेल्पर, क्लर्क और जंग में ढह चुकी इमारतों को खाली करने की जॉब में वेकेंसी दिखाई जाती है। वीडियो में बताया जाता है कि नौकरी लेने वाले लोगों को बॉर्डर पर जंग लड़ने नहीं जाना होगा। उन्हें 3 महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी, जिस दौरान 40 हजार रुपए की सैलेरी मिलेगी। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद तनख्वाह 1 लाख रुपए हो जाएगी। 'रूसी आर्मी में भर्ती नहीं हुए तो 10 साल की सजा होगी' जब भारतीय झांसे में आकर रूस चले जाते हैं, तो उन्हें जबरदस्ती मिलिट्री ट्रेनिंग दी जाती है। उन्हें झूठे दस्तावेज दिखाए जाते हैं, जिस पर लिखा होता है कि अगर वे रूसी आर्मी में भर्ती नहीं हुए तो उन्हें 10 साल जेल की सजा हो जाएगी।
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