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    बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले पर अब सियासत गरमाई:72% दागी शिक्षक तृणमूल के करीबी, बाकियों में भाजपा के करीबी ज्यादा

    1 week ago

    पश्चिम बंगाल में कथित शिक्षक भर्ती घोटाले ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी 1804 दागी उम्मीदवारों की सूची में सबसे ज्यादा नाम सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेताओं के करीबियों के हैं। इनमें से करीब 72% यानी 1300 सीधे तौर पर टीएमसी से जुड़े परिवारों के लोग हैं। विपक्षी भाजपा ने सबसे अधिक शोर मचाया, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि सूची में भाजपा नेताओं के परिजनों के नाम भी शामिल हैं। विपक्ष ने विधानसभा में जोरदार हंगामा किया और सीएम ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग उठाई। ईडी ने कोर्ट में दावा किया है कि इस घोटाले में 300 करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ है और तृणमूल विधायक जीवन कृष्ण साहा की सिफारिश पर 75 लोगों को नौकरी मिली। सीपीएम और कांग्रेस ने भी सरकार पर हमला बोला है। वहीं, तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष का कहना है कि कई लोग गिरफ्तार हुए हैं और जांच जारी है, लेकिन भाजपा और सीपीएम को बोलने का नैतिक अधिकार नहीं है। ED से बचकर भाग रहे थे जीबन प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोमवार को स्कूल भर्ती घोटाले मामले में TMC विधायक जीवन कृष्ण साहा को गिरफ्तार कर लिया। ED की टीम रेड के लिए पहुंची थी, लेकिन विधायक को इसकी जानकारी मिल गई। वे रेड के पहले दीवार फांदकर भागने की कोशिश करने लगे। इस दौरान साहा ने मोबाइल फोन भी नाले में फेंक दिया, जिसे ED ने बरामद कर लिया है। ED की तरफ से दर्ज किए गए मनी लॉन्ड्रिंग केस में TMC विधायक साहा, उनके रिश्तेदार और सहयोगी आरोपी हैं। स्कूल भर्ती घोटाला केस में ED दायर कर चुकी 4 चार्जशीट ED ने इससे पहले पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी, उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी, टीएमसी विधायक और पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य के अलावा कुछ अन्य लोगों को भी इस मामले में गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद चटर्जी को टीएमसी ने निलंबित कर दिया था। इस मामले में अब तक ईडी 4 चार्जशीट दाखिल कर चुके हैं। ED ने पहली चार्जशीट 19 सितंबर 2022 को दाखिल की थी। इसमें पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी का नाम शामिल था। 3 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल भर्ती घोटाले से जुड़े कोलकाता हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (WBSSC) की 2016 में 25 हजार शिक्षकों और गैर-शिक्षकों की नियुक्ति को अवैध बताते हुए भर्ती रद्द कर दी थी।
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